*सहना सीखो आघातों को, सीने पर बाणों को झेलो (राधेश्यामी छंद

सहना सीखो आघातों को, सीने पर बाणों को झेलो (राधेश्यामी छंद )
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सहना सीखो आघातों को, सीने पर बाणों को झेलो
जो मिले जहर का प्याला भी, उसको सहर्ष बढ़कर ले लो
मत रुको देख झंझावातें, हर पल तुमको चलना ही है
सर्दी गर्मी बरसात रात, अनुकूल तुम्हें ढलना ही है
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451