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27 May 2024 · 1 min read

रक्तदान ही महादान

“रक्तदान ही महादान”
खून का प्यासा रहे न कोई सबको ही गम खाना है।
रक्तदान ही महादान है सबको ही ये समझाना है।

अब रक्तदान से खून का रिश्ता खुद ही बन जाना है।
रिश्तों से रिसते प्यार के लिए ना खून जलाना है।

भोजन और ऑक्सीजन का परिवहन रक्त से होता।
बिना रक्त के हर प्राणी पल भर में ही जीवन खोता।

वैज्ञानिक लैंडस्टीनर ने थी रक्तसमूह की खोज करी।
रोज़ सड़क दुर्घटनाओं में आने वाली बिपत्ति हरी।

रक्त तरल संयोजी ऊतक प्लाज्मा अरु रुधिराणु ।
तीन प्रकार के रुधिराणु लाल, श्वेत ,रक्त बिम्बाणु।

अपना खून वही जो सुख-दुख में संग हंसता रोता।
खून पसीना एक करे जब भूमिपुत्र बीजों को बोता।

कोई किसी का खून पीता तो मेरा खून खौल जाता।
पर कहीं खून ना हो जाए सो घूंट खून का पी जाता।

अपनों को दुखित देख करके सबका खून सूखता है।
खून सफेद ना होने पाए ! सो अपना खून जूझता है।

“ओ” रक्त समूह सर्वदाता है तो “ए बी” सर्वग्राही है।
धमनी ,हृदय ,शिरा, पेशी में रक्त की आवाजाही है।

रक्त समूह के चार प्रकार ‘ए’, ‘बी’, ‘ए बी’ और ‘ओ’।
कुल मिलाकर आठ हुए हर एक प्रकार के होते दो

Language: Hindi
1 Like · 161 Views
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