किया अपराध न फिर भी जुल्म सहा करतें हैं ।

किया अपराध न फिर भी जुल्म सहा करतें हैं ।
हम तो भरी भीड़ में भी तन्हा रहा करते हैं।
आने दो समय अपना हम कहेंगे हालात दिल की।
लोग मुझको अभी क्या क्या न कहा करते हैं ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र