जब समय फंदा कसेगा,भूमि में पहिया धँसेगा

जब समय फंदा कसेगा,भूमि में पहिया धँसेगा
शाप सब पिछले डसेंगे,पार्थ नैतिकता तजेंगे
उस घड़ी तक जूझने का भ्रम निभाना है,सब समय का बारदाना है…!!!
नीतियों का ढोंग करतीं, सब सभाएँ मौन होंगी
न्याय की बातें बनातीं मन्त्रणाएँ मौन होंगी
जब प्रणय को भूलकर राघव निरे राजा बनेंगे
तब सिया के गीत गातीं प्रार्थनाएँ मौन होंगी
द्यूत के उपरांत लज्जित शौर्य का वैभव रहेगा
श्वास ज्वाला में दहकता वीरता का शव रहेगा
व्यूह की रचना करेंगे द्रोण जब भीषण समर में
व्यूह भेदन का पुरोधा पार्थ तब ग़ायब रहेगा
आँख से आँसू झरेंगे घात सब अपने करेंगे
अर्जुनों को बाद में बदला चुकाना है
सब समय का बारदाना है…!!!
ज़िन्दगी के हर मिलन का, हर विरह का क्रम नियत है
बाण की शैया मिलेगी या मधुर रेशम, नियत है
सब नियत है, कब-कहाँ-किसको दबोचेगी पराजय
कब कहाँ उत्सव मनेगा, कब कहाँ मातम, नियत है
न्याय का उपहास तय है , राम का वनवास तय है
कैकयी का कोप तो कोरा बहाना है
सब समय का बारदाना है…!!!