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24 Sep 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
छोड़ऽ रूप के जाल जवानी बचत करऽ।
छोड़ऽ नैन आ बाल जवानी बचत करऽ।

रूप सुनहरा आपन ज्ञान बढ़ा देखऽ,
होखबऽ मालामाल जवानी बचत करऽ।

मात पिता कुल के मर्यादा के बूझऽ,
लमहर इहे सवाल जवानी बचत कर।

कंगना चूड़ी क्रिम लिपिस्टिक के छोड़ऽ
अभी उमरिया बाल जवानी बचत करऽ।

तू देशवा के जान आस तूं हीं बाड़ऽ
तू स्वदेश के लाल जवानी बचत करऽ।

विजय कुमार पाण्डेय प्यासा
करपलिया, मुस्तफाबाद,सीवान
( बिहार)

Language: Bhojpuri
192 Views
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