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7 Feb 2025 · 1 min read

*प्रतिकूल परिस्थितियॉं दस्तक, देने हम सब तक आती हैं (राधेश्य

प्रतिकूल परिस्थितियॉं दस्तक, देने हम सब तक आती हैं (राधेश्यामी छंद)
________________________
प्रतिकूल परिस्थितियॉं दस्तक, देने हम सब तक आती हैं
जो दुर्बल मन के स्वामी हैं, उनको यह खूब सताती हैं
जो सहता है विष-भरा दंश, लेकिन फिर भी कब रोता है
उसका चरित्र ही निखरेगा, जो साधक धैर्य न खोता है

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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