कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
सड़ रही है उदासी तनहाई-संदीप ठाकुर
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
अंतस किवाड़ ऊगडै, गुरु मुख सुणया ग्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
जिंदगी बेहया हो गई।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)*
जीवन मे माँ बाप की अहमियत