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3 Feb 2025 · 1 min read

विदाई जोशी जी की

आशीष जोशी यानी एक छवि बनती है अलग सी
समय की प्रतिबद्धता सबसे थोड़ी अलग सी

शौम्य, सुशील और संस्कारी ।
बनती है छवि चित्रपटल पर हमारी ।।

एक अकेले ही है ये सब पर भारी ।
क्योकि करते ही नही फ़ालतू की यारी ।।

मुस्कान चहरे पर है पहचान तुम्हारी ।
कोई कुछ भी कहे नही चिन्ता तुम्हारी ।।

नही मिली अभी तक कोई कन्या कुंवारी ।
इसलिए जोशी जी है अबतक बाल ब्रह्मचारी ।।

आईटीम को खलेगी अनुपस्थिति तुम्हारी ।
डील वालो को मिलेगी उपस्थिति तुम्हारी ।।

आप ऐसे ही मुस्कुराते रहे ये दुआ है हमारी ।
आप भी घर गृहस्थी बसाये ये अभिलाषा हमारी ।।

ललकार भारद्वाज
31 जनवरी 2025

Language: Hindi
1 Like · 31 Views
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