Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 May 2024 · 1 min read

कुछ तो बाक़ी

ज़िन्दगी बे’जवाब रहने दो ।
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो।।

खुद की इस्लाह कर सकूं मैं भी ।
मुझको कुछ तो खराब रहने दो।।

इतने ज़्यादा गुनाह नहीं अच्छे ।
कुछ तो बाकी सवाब रहने दो ।।

देख लो एक नज़र मुझे यूँ ही ।
मुझमें शामिल शबाब रहने दो।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Loading...