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7 Dec 2024 · 1 min read

छटपटाहट

अगर मालूम होता मुझे
तुम्हारे हाथ अभी इतने मजबूत नहीं
तो शायद न रखते
तुम्हारे कंधों पर इतना बोझ,
अब ये तुम्हारे डगमगाते कदम
भीतर तक तोड़ रहे मुझे
कि कहीं ये संसार, जो तुला ही है
इस रिश्ते को नगण्य करने में,
कहीं मेरे प्रेम, समर्पण
और तुम्हारे कर्त्तव्य बोध
के कर्त्तत्व पर ठहाके न लगाए ।

Language: Hindi
50 Views
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