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7 Feb 2024 · 1 min read

मुक्तक

जहां भी मिल जाती है ठंडी मीठी छांव
वहीं रात गुजर कर लेता हूं
चंद फूलों की खुशबू को ही
फूलों का गुलशन कर लेता हूं l

नहीं इंतजार करता हूँ सुबह का
स्याह शाम को ही सफर कर लेता हूं
क्यूँ कर यूँ ही गुजर जाये जिंदगी
हर एक पल को अपनी अमानत कर लेता हूं l

Language: Hindi
1 Like · 254 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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