Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2025 · 1 min read

###अंगुलिमाल की पुनर्जन्म !

विचित्र है अब भी अंगुलिमाल बनना,
अधर्म था जिसका एक ही कर्म,
पुनर्जन्म उसके देख अब लगता शर्म,
अंगुलियाँ काट के प्रयाय बनना,
जिसका एक ही था कर्म,
कभी समझ न पाया जो लहूलुहानों का मर्म।

लहू से सना था जिसका मार्ग,
क्रूरता से भरा था कर्म,
हर दिशा में बस फैला था कुकर्म,
उसी को अब जिंदा बनाना अनुचित धर्म,
मीठे शब्दों की चाशनी है अधर्म,
अभी भी वक्त है, बनो सबका मरहम।

गुरु का आदेश माना, पर मार्ग था कुकर्म,
अंगुलिमाल के हिंसा ने किया जीवन दुर्बल,
आतंक से उसके कांपते थे सब,
क्यों तूँ उसका पथगामी बनता अब,
भूतनाथ की भेष छोड़ो अब,
समय, संविधान के पकड़ मार्ग अब।

पुराने शब्द जो भूगोल-इतिहास के पन्नों में हैं दर्ज,
अब उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करना न समझो फर्ज,
अपनी मधेशी पहचान पर करो गर्व,
लोकजीवन में शान्ति, प्रगति के लिए करो कर्म,
पुरानी टीकाओं पुनर्जीवित करने की जिद पर करो शर्म,
अंगुलिमाल चरित्र छोड़,अपनाओ असंलग्नता का धर्म।

#दिनेश_यादव #
***कलंकी, काठमाण्डू (नेपाल) ***
1 फरवरी, 2025, शनिवार

Language: Hindi
1 Like · 49 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
View all

You may also like these posts

मंथरा
मंथरा
Dr Archana Gupta
हंसी / मुसाफिर बैठा
हंसी / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
" मैं सोचूं रोज़_ होगी कब पूरी _सत्य की खोज"
Rajesh vyas
May you never again get attached to anyone who isn’t for you
May you never again get attached to anyone who isn’t for you
पूर्वार्थ
"गुस्सा थूंको"
Dr. Kishan tandon kranti
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
मेंहदी राचे है लाल ,
मेंहदी राचे है लाल ,
Vibha Jain
अपना भी नहीं बनाया उसने
अपना भी नहीं बनाया उसने
दीपक बवेजा सरल
..
..
*प्रणय प्रभात*
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
भरी रहे जब जेब जगत में, सबदिन हो त्योहार।
भरी रहे जब जेब जगत में, सबदिन हो त्योहार।
संजय निराला
वो मुझे याद  करते है...
वो मुझे याद करते है...
Dr .Shweta sood 'Madhu'
तुम्हारी ना हमारी यह सभी की हैं कहानी।
तुम्हारी ना हमारी यह सभी की हैं कहानी।
Madhu Gupta "अपराजिता"
बने स्वयंभू आप
बने स्वयंभू आप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
The destination
The destination
Bidyadhar Mantry
सती सावित्री
सती सावित्री
मनोज कर्ण
दिल तुझे
दिल तुझे
Dr fauzia Naseem shad
राम!
राम!
Acharya Rama Nand Mandal
सोचा था तुम तो-------------
सोचा था तुम तो-------------
gurudeenverma198
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने  में कामयाब जरूर हो
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर हो
Umender kumar
प्रार्थना सदा कुछ माँगने के लिए नहीं, अपितु ईश्वर ने जो कुछ
प्रार्थना सदा कुछ माँगने के लिए नहीं, अपितु ईश्वर ने जो कुछ
ललकार भारद्वाज
A beautiful space
A beautiful space
Shweta Soni
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
VINOD CHAUHAN
आदमी क्यों  खाने लगा हराम का
आदमी क्यों खाने लगा हराम का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मेरी माटी मेरा देश 💙
मेरी माटी मेरा देश 💙
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं उसका हो चुका था
मैं उसका हो चुका था
Jitendra kumar
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
Shyam Sundar Subramanian
Loading...