मेरी प्रिय

।।मेरी प्रिय।।
सात फेरे भी हुये।
हम तेरे भी हुये।
चलते रहे चलते रहे
बहुत दूर जिन्दगी की राहों पर।
कभी धूप तो कभी छांव के अन्धेरे भी हुये।
थमा है मेरा हाथ तो
थामे रखना ए हमसफर
जिन्दगी की आखरी सांसो तक।
मिलके ना जुदा हो पाये
हम और तुम!
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”