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10 Mar 2024 · 1 min read

अब हिम्मत नहीं होती दर्द बांटने की

दिल के अंदर ही अंदर,
दर्द की है जलती ज्वाला।
पर होठों पर लाने की,
अब हिम्मत ही नहीं होती।

बहुत कुछ कहना चाहती हूं,
पर लफ़्ज़ जुबां पे आते नहीं।
दिल की गहराइयों में छिपे,
अब राज किसी को बताती नहीं।

दर्द को सीने में दबाकर
जीना सीख लिया है मैंने।
बदल गई है आदत भी,
अब वक्त काटने की मेरी।

अब तो खुद ही सहती हूं,
दिल के हर एक जख्म को।
किसी और को तकलीफ़,
देने की हिम्मत ही नहीं होती।

दिल में उमड़ते हैं मेरे,
आज भी तूफान बहुत से।
किसी से कुछ कहने की,
अब हिम्मत ही नहीं होती।

ये चुप्पी मेरी मुझे,
अंदर से खाए जा रही है।
अपने दर्द को बांटने की,
अब हिम्मत ही नहीं होती।

बदल गया है सब कुछ,
इस गुजरते वक्त के साथ।
खुद से भी मिलने की,
अब तो हिम्मत नहीं होती।

साँसों में मेरी घुटन सी है,
आँखों में भी आँसू भरे हैं।
कैसे जीयूं, कैसे सहूं मैं,
बस यही सवाल मन में है।

– सुमन मीना (अदिति)

Language: Hindi
1 Like · 145 Views

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