फूल भी माली भी

मेरे जीवन का हिस्सा बनके तूने जो खुशियाँ बाँटी हैं।
मेरे प्यार के किस्से भी तो तेरे मेरे जीवन के साँझी हैं।।
तुम याद करो वो पल मैं तुम एक कमरे में बैठे होते हैं।
वो यादें हैं जो बिना आहट कमरे में दाखिल होते हैं।।
मुझे कभी नहीं लगता है मेरा घर एक पल भी खाली है।
मेरे घर का फूल भी तू ममता तू ही मेरे घर की माली है।।
मौसम मेरे घर के तुझी से है बहार भी तुझ से रहती है।
मेरे घर का चमन तू खिलाती है पतझड़ नहीं आने देती है।।
तू ना रूठती मुझसे कभी ममता मुझे टूटने तू नहीं देती है।
तेरे दम से ही घर मेरा स्वर्ग लगे दिन रात लगी तू रहती है।।
है बिजनौरी की उम्मीद यही तेरा प्यार बहार बरसता रहे।
मेरे घर की तू रौनक बनी रहे तेरे प्यार का घड़ा छलकता रहे।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।