Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2024 · 1 min read

अजब गजब

वो (छिपकली) मुझे देख घबराती है, मैं उसे देख घबराता हूँ
वो मुझे देख डर जाती है मैं उसे देख डर जाता हूँ

वो मुझसे नैन लड़ाती है मैं उससे नैन बचाता हूँ
वो कमरे में आ जाती है मैं कमरे से चला जाता हूँ

क्या रिश्ता है मेरा उसका, समझ नही मैं पाता हूँ
एक छत के नीचे रह कर भी मेल नही कर पाता हूँ

क्यों वो ऐसा करती है यह समझ नही मैं पाता हूँ
कोई बैर नही उससे है फिर भी उससे मैं घबराता हूँ ।

मुझे तो लगता है जैसे कि कुछ कहना उससे चाहता हूँ
पर इतना साहस हुआ नही, जितना मैं कहना चाहता हूँ

!! आकाशवाणी !!

Language: Hindi
142 Views

You may also like these posts

ऐ सूरज तू अपनी ताप को अब कम कर दे
ऐ सूरज तू अपनी ताप को अब कम कर दे
Keshav kishor Kumar
श्री राधा !
श्री राधा !
Mahesh Jain 'Jyoti'
- विदाई समारोह -
- विदाई समारोह -
bharat gehlot
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
~~तीन~~
~~तीन~~
Dr. Vaishali Verma
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ड्यूटी
ड्यूटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2536.पूर्णिका
2536.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
Raju Gajbhiye
" श्रम "
Dr. Kishan tandon kranti
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
*दिल के रोग की दवा क्या है*
*दिल के रोग की दवा क्या है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आदमियों की जीवन कहानी
आदमियों की जीवन कहानी
Rituraj shivem verma
पावस की ऐसी रैन सखी
पावस की ऐसी रैन सखी
लक्ष्मी सिंह
दोहापंचक. . . आस्था
दोहापंचक. . . आस्था
sushil sarna
लिखना है मुझे वह सब कुछ
लिखना है मुझे वह सब कुछ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
शान्ति दूत
शान्ति दूत
Arun Prasad
"मैं पंछी हूँ मेरे पंख रहने दीजिये ll
पूर्वार्थ
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
आपस में क्यों बैर परिंदे।
आपस में क्यों बैर परिंदे।
पंकज परिंदा
*दुनिया में हों सभी निरोगी, हे प्रभु ऐसा वर दो (गीत)*
*दुनिया में हों सभी निरोगी, हे प्रभु ऐसा वर दो (गीत)*
Ravi Prakash
Gujarati Poetry | The best of Gujarati kavita & poet | RekhtaGujarati
Gujarati Poetry | The best of Gujarati kavita & poet | RekhtaGujarati
Gujarati literature
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
Pramila sultan
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
ruby kumari
कभी नजरें मिलाते हैं कभी नजरें चुराते हैं।
कभी नजरें मिलाते हैं कभी नजरें चुराते हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*है गृहस्थ जीवन कठिन
*है गृहस्थ जीवन कठिन
Sanjay ' शून्य'
समय की पुकार
समय की पुकार
Shyam Sundar Subramanian
प्रभु तुम ही याद हो
प्रभु तुम ही याद हो
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
🙅DNA REPORT🙅
🙅DNA REPORT🙅
*प्रणय*
Loading...