अनकहे अक्षर

अनकहे अक्षर
1.
बरसों से यह मकान
खुला नहीं है
चाट गई दीमक,कोई
मिला नहीं है।।
2.
संबंध तो कपूर है
आरती तक जले
फिर काफ़ूर है।।
3.
बहुत दिनों से कोई
राग न छेड़ा तुमने
हल हो गये मुद्दे, या
माद्दा नहीं रहा।।
4.
माथे की बिंदी भी
कितनी बदल गई
गोल गोल चाँद थी
बिंदु बिंदु ढल गई।।
5.
खाली हैं दीवारों दर
कोने में पड़े हैं पूर्वज
खूबसूरती के कितने
मायने बदल गये अब।
6.
आओ नुक्ताचीनी
करते हैं..
नुक़्ता अलग
चीनी अलग करते हैं।
सूर्यकान्त