****चलो चले महाकुंभ****
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प्रयागराज में लगा है मेला
दूर दूर से जनजन पधारे
नागा,नाथ, निर्वाणी अखाड़े
साधु संत है अनोखे न्यारे
महाकुंभ का महात्म्य बड़ा
कुंभ कलश था धरा पे गिरा
छलकी अमृत बूंदे साहसा
उज्जैन,नासिक,प्रयाग, हरिद्वारा
सब नगरों की महिमा न्यारी
बारह वर्षों में आती बारी
बारह वर्ष महाकुंभ कहलाता
साधु संत संग मनुज आनंद पाता
महाकुंभ की ये अमृत बेला
अदभुत, अनूठा प्रयाग मेला
स्नान कर मनुज पुण्य कमाते
पावन संगम के दर्शन पाते
महाकुंभ आया संगम नगरी
छलकी थी कभी अमृत गगरी
स्नेह, पुण्य का अब लाभ लें
आओ चले महाकुंभ चलें
गंगा, यमुना, सरस्वती मैया
तीनों का यहां संगम अनूठा
महान साधु संत भी है आये
धूनी रमाये जटा बिखराये
पावन हुई आज धरा सारी
प्रयागराज में महाकुंभ तैयारी
नेह, आस्था की मधुर रीती
श्रेष्ठ,अनुपम भारतीय संस्कृति
केसरिया रंग जयघोष गूंजता
भक्तिमय रंग में जनजन झूमता
धर्म, श्रद्धा आध्यात्म में रमे
आओ चले महाकुंभ चलें
भूल जाये दुख विषाद सारे
भक्ति, एकता में रंग जाएँ
हृदय में पावन भावना भरें
आओ चले महाकुंभ चलें
✍🏻 “कविता चौहान ”
स्वरचित एवं मौलिक