पहली बार तो नहीं है
पहली बार तो नहीं है
जो तुम चीखें हो मुझ पर।
लेकिन इस बार बात अलग है,
क्योंकि आज मैं भी चुप नहीं रही।
और तुम आवाक, स्तब्ध,जलती
आंखों से मुझे देखते हुए।
क्यों लगी न चोट आत्मसम्मान पर
दिल तो मानो कर रहा होगा
मेरा गला घोंटने को।
अच्छा है ,मेरे बोलने से ही समझ गये।
मतलब??
मतलब ये की अगर चीखने के जवाब
में अगर ये चीख सकती है तो
हाथ उठाने से तो ::::
कुछ भी कर सकती है ये
घायल शेरनी।
तो समझ गये होंगे
इस बार बात अलग है:::
सुरिंदर कौर