मुंशी प्रेमचंद जी.....(को उनके जन्मदिन पर कोटि कोटि नमन)
पुरवाईयों में खिले फूल को, अब आँधियों का सहारा है,
हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे
दिल यूं ही बे’क़रार लगता है ,
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
मेरे हिस्से का प्यार भी तुझे ही मिले,
बच्चों को इतवार (बाल कविता)
कुछ लोग कहते है की चलो मामला रफा दफ़ा हुआ।
कुछ कमी मुझमे है कि इस जमाने में,
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Blabbering a few words like " live as you want", "pursue you
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।