हाँ, किसी के काबिल तो हूँ
हाँ, किसी के काबिल तो हूँ
पर छिछोरा हूँ, मनडोला हूँ
उन नयनों में तैर लिया मैं
जैसे चांद पे झुला हूँ
रात-बीती आप-बीती
सुन लो मेरी आपबीती
डुब चला हूँ नदियों में
लहरें मेरी नाप लेती
धुमिल भी हूँ अकिल भी हूँ
साहिल भी हूँ मंजिल भी हूँ
नही हूँ सीधा-साधा,राधा
तु देख बड़ा अश्लील भी हूँ
~जितेन्द्र कुमार “सरकार”