मुक्तक
मुक्तक
जिंदगी है तो इसे जिंदादिली से ही जीतना होगा
ग़मों के समंदर में भी, मुहब्बत का कारवाँ सजाना होगा
क्यूँ कर सिसकती सांसों का समंदर हो जाये लोगों की जिंदगी
खुशबू से भरे खतों को बारीकी से पढ़ना होगा
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
मुक्तक
जिंदगी है तो इसे जिंदादिली से ही जीतना होगा
ग़मों के समंदर में भी, मुहब्बत का कारवाँ सजाना होगा
क्यूँ कर सिसकती सांसों का समंदर हो जाये लोगों की जिंदगी
खुशबू से भरे खतों को बारीकी से पढ़ना होगा
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम