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2 Jan 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

जिंदगी है तो इसे जिंदादिली से ही जीतना होगा
ग़मों के समंदर में भी, मुहब्बत का कारवाँ सजाना होगा
क्यूँ कर सिसकती सांसों का समंदर हो जाये लोगों की जिंदगी
खुशबू से भरे खतों को बारीकी से पढ़ना होगा

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

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