#बस_मौका_चाहिए_जी।
#बस_मौका_चाहिए_जी।
जो बांधते ग्रहों को हर एक के पल्ले से।
पाखंड की दुकानें चलती हैं धड़ल्ले से।।
【प्रणय प्रभात】
#बस_मौका_चाहिए_जी।
जो बांधते ग्रहों को हर एक के पल्ले से।
पाखंड की दुकानें चलती हैं धड़ल्ले से।।
【प्रणय प्रभात】