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27 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल = ( 20 )
बह्र …1222-1222-1222-1222 ,,
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
काफिया _ आन /// रदीफ़ _ की कीमत
************************************
ग़ज़ल
1…
अभी पहचान लो तुम भी यहाँ इंसान की कीमत !
हमेशा कीमती होती है , हर एक जान की कीमत !!
2…
अगर एहसास होता है , पिघल जाते है पत्थर भी !
न वो ज़ालिम समझता है कभी नादान की कीमत !!
3…
न घर देखा , न सम्भाला, कभी आबाद होकर भी !
नहीं होगी क़दर उसको , ये हिन्दुस्तान की कीमत !!
4…
ज़रा में दूसरों के ऐब का परदा उछाले ही !
गिरहवानों में खुद झांके , समझ ले मान की कीमत !!
5..
उमर कटती किसी की जब , हमेशा होटलों में ही !
न जानेंगे बुलाकर भी , कभी मेहमान की कीमत !!
6…
भरा शर हो सभी रग में , वही शैतान होता है !
नहीं जाने हिदायत के बिना ईमान की कीमत !!
7…
कभी आंधी , भयानक रात का मन्ज़र नहीं देखा !
अजी वो तिफ्ल क्या जाने ,किसी तूफ़ान की कीमत !!
8..
किसे सुलतान कहते हैं ,किसे अरमान कहते हैं !
बनो ऐसे दिखा दो , जहाँ को शान की कीमत !!
9..
अगर तुम ‘नील’ से पूछो यहाँ माहौल कैसा है !
कहीं भी पूछ , नाबालिग कहे हैवान की कीमत !!

✍नील रूहानी ..21/05/2022….☺
( नीलोफर खान ,, स्वरचित )

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