ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
*करतीं धुनुची नृत्य हैं, मॉं की भक्त अपार (कुंडलिया)*
शुभ गगन-सम शांतिरूपी अंश हिंदुस्तान का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अरे आज महफिलों का वो दौर कहाँ है
"वृक्षारोपण ही एक सफल उपाय"
💖🌹 हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹💖
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी