आप गुनेहगार हैं! लड़कियाँ गवाई नहीं देती।

आप गुनेहगार हैं! लड़कियाँ गवाई नहीं देती।
दरख़्त टूट जाए! डालियाँ दुहाई नहीं देती।।
शाम को चौपाल पे बैठे क्या देखता हूँ?
कोई भी तो सूरत दिखाई नहीं देती।।
यारे प्यारे घरवारे सबने छोड़ दिया हमको,
हमको तो अब धूप भी परछाईं नहीं देती।।
ये, ये तो किसी के इश्क़ में पागल है,
वो बीमारी बताती है, दवाई नहीं देती।।
उसकी गली में मारे फिरते हैं आशिक़ सब,
सरकार “वो” किसी को दिहाड़ी नहीं देती।।
तोड़-मरोड़ के बनाया है तमाशा मुझको,
दुनिया खबरें छापती है, कमाई नहीं देती।।
जीवन सफर है “मुरारी”, तुम ज़मीं पे चलो,
ज़िंदगी बुलाती तो है, पर गाड़ी नहीं देती।।