Time decides our fate, our journey. And when time changes, e
कविता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
यूं गौर से मुस्कुरा कर न मुझे देखा करों।
आँख भर जाये जब यूँ ही तो मुस्कुराया कर
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
चौमासे में मरें या वर्षा का इंतजार करें ,
अनजाने में भी कोई गलती हो जाये
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
*********** एक मुक्तक *************
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना