Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2024 · 1 min read

झुलस

धरती झुलस रही अब आओ , हे मेघा अब तो जल बरसाओ
अब तो दया करो हे अम्बर , काली घटा से नीर ले आओ

सुख गये हैं तालब बाबड़ी, सूख गई है दूब और दुदधी
निरीह पशु जल को खोजते , जलते पैरों को अब तो भिगाओ

कहे पंखुरी कंठ है सूखा , कहें गौरिया लगता सब फीका
घास पूस निष्प्राण हुई है , ओ बदरा अब तरस तो खाओ

जल बिन सब निष्प्राण हुए हैं, ईंट और पत्थर अभिशाप हुए हैं
तरुवर के पत्ते विलख गये हैं, ओ कारे मेघा मत तरसाओ

लू लपट की है मारा मारी , तन को ज्वर ताप से भारी
अब तो लगाओ एक वृक्ष सब, शीतल कोई बयार ले आओ

करो वृक्ष का भू में रोपण , मिट पायेगा त्रस्त ये क्रन्दन
अपनी धरती स्वयं बचाओ , फिर से अपने गाँव सजाओ

धरती झुलस रही अब आओ , हे मेघा अब तो जल बरसाओ
अब तो दया करो हे अम्बर , काली घटा तुम नीर ले आओ

Language: Hindi
1 Like · 100 Views
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all

You may also like these posts

क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
आर.एस. 'प्रीतम'
कुछ तो नहीं था
कुछ तो नहीं था
Kaviraag
मित्रता
मित्रता
Rambali Mishra
2739. *पूर्णिका*
2739. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
Rj Anand Prajapati
"आजमाना "
Dr. Kishan tandon kranti
आज ये न फिर आएगा
आज ये न फिर आएगा
Jyoti Roshni
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
वो मुज़्दा भी एक नया ख़्वाब दिखाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यू तो गुल-ए-गुलशन में सभी,
यू तो गुल-ए-गुलशन में सभी,
TAMANNA BILASPURI
सास खोल देहली फाइल
सास खोल देहली फाइल
नूरफातिमा खातून नूरी
ख्याल
ख्याल
Mamta Rani
दोस्ती के नाम.....
दोस्ती के नाम.....
Naushaba Suriya
स्वर्ग सा घर है मेरा
स्वर्ग सा घर है मेरा
Santosh kumar Miri
बोलबाला
बोलबाला
Sanjay ' शून्य'
दरारों में   ....
दरारों में ....
sushil sarna
प्यार है इक अहसास
प्यार है इक अहसास
Vibha Jain
शिव आराधना
शिव आराधना
Kumud Srivastava
शे
शे
*प्रणय*
बंदगी हम का करीं
बंदगी हम का करीं
आकाश महेशपुरी
Love Is The Reason Behind.
Love Is The Reason Behind.
Manisha Manjari
मुट्ठी में आकाश ले, चल सूरज की ओर।
मुट्ठी में आकाश ले, चल सूरज की ओर।
Suryakant Dwivedi
चाय पीते और पिलाते हैं।
चाय पीते और पिलाते हैं।
Neeraj Agarwal
मरना क्यों?
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कविता की बोली लगी
कविता की बोली लगी
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मैं और मांझी
मैं और मांझी
Saraswati Bajpai
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्यार के मायने बदल गयें हैं
प्यार के मायने बदल गयें हैं
SHAMA PARVEEN
"CCNA® Training in London: Become a Certified Network Associate with Cisco"
bandi tharun
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
फ़िर कभी ना मिले ...
फ़िर कभी ना मिले ...
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...