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5 Jan 2023 · 4 min read

*पत्रिका समीक्षा*

पत्रिका समीक्षा
पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट , दिसंबर 2022,खंड 120, अंक 12
संपादक : प्रदीप एच गोहिल
अनुवादक : श्याम सिंह गौतम
_______________________
समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
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इंडियन थियोसॉफिस्ट का दिसंबर 2022 अंक अगर हीलिंग पर केंद्रित कहा जाए, तो गलत न होगा।
पहला लेख प्रदीप एच गोहिल का एक पग आगे शीर्षक से लिखा गया है, जिसमें नींद की आवश्यकता को प्रतिपादित किया गया है। शरीर के साथ-साथ आत्मा का संबंध भी नींद से है। लेखक ने शरीर के लिए नींद की आवश्यकता को जहां जरूरी बताया है, वहीं यह कहा है कि जब आत्मा का प्रत्यक्षीकरण हो जाता है और व्यक्ति आत्मा के आनंद में डूब जाता है तब नींद का कोई प्रश्न नहीं रह जाता। तब आपके लिए नींद का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा ।आप उसके पार चले जाएंगे । अंत में लेखक ने नींद को अध्यात्म की कसौटी पर एक नई दिशा देने का आह्वान करते हुए लिखा है:- “चलो, हम आत्म प्रत्यक्षीकरण करें और अपनी नींद की आवश्यकता को पूरी करें”
टिम बॉयड द्वारा लिखित हीलिंग की आवश्यकता एक अद्भुत लेख है । हीलिंग का पारिभाषिक अर्थ “शक्ति प्रेषण द्वारा उपचार” होता है, लेकिन यह किस प्रकार से संभव है इसकी गहरी छानबीन और जांच-पड़ताल लेख करता है। इसके अनुसार हीलिंग का मूल अर्थ है पूर्ण को बनाना । यह एक खंडों में बॅंटी हुई वस्तु को फिर से पूर्णता में लाना है । लेखक ने बताया है कि व्यक्ति अपनी पहचान को सीमित कर लेता है और इस तरह वह खंडीकरण की प्रक्रिया में लिप्त हो जाता है। जबकि केंद्रीय सत्य यही है कि हम सब एक हैं । हीलिंग के द्वारा व्यक्ति को गहनतम स्तर पर अपनी अखंडित आत्मा या विश्व चेतना से संबंधित होने के लिए वापस बुलाया जाता है ।
एक उदाहरण समझाते हुए लेखक ने बताया कि एक व्यक्ति को सिर दर्द था, तब हीलिंग करने वाले व्यक्ति ने अपने दो विद्यार्थियों को बुलाया और उनसे कहा कि क्या तुम पीड़ित व्यक्ति का सिर दर्द लेना चाहोगे? जब वे मान गए, तब पीड़ित व्यक्ति को कुर्सी पर बिठा कर हीलिंग प्रक्रिया इस प्रकार हुई:- दोनों ने अपनी हथेलियों को रगड़ा और अपने हाथ पीड़ित के सिर के दोनों तरफ बिना छुए ले गए और लगभग एक मिनट तक ऐसे ही रखा। जब यह प्रक्रिया समाप्त हुई तो दोनों ने अपने हाथ उसी प्रकार झटके, जैसे हाथ धोने के बाद पानी छिड़कते हैं … पीड़ित व्यक्ति ठीक हो गया ।
हीलिंग के बारे में एक राय यह है कि हीलिंग एक प्राकृतिक योग्यता है, जिसे किसी में भी विकसित किया जा सकता है। दूसरे लोगों की राय इससे अलग है उनका कहना है कि हीलिंग करने की योग्यता ईश्वर का उपहार है और यदि वह तुम्हें नहीं दी गई है तो तुम्हारे पास यह योग्यता नहीं आ सकती ।
हीलिंग के सबसे अच्छे उदाहरण के तौर पर थियोसॉफिकल सोसायटी के संस्थापक कर्नल ऑलकॉट के हीलिंग कार्यों को प्रस्तुत किया है। एक उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को पक्षाघात हो गया था। सर्वप्रथम उसका उपचार कर्नल ऑलकॉट ने हीलिंग के द्वारा किया और वह ठीक हो गया। उसके बाद 3 वर्ष तक कर्नल ऑलकॉट ने 7000 लोगों का उपचार किया । इनमें पक्षाघात, अंधापन और हर प्रकार के दर्द सम्मिलित है ।
कर्नल ऑलकॉट की एक प्रक्रिया यह थी कि वह अपने संकल्प से अपनी शक्ति को हाथों में एकत्रित करते थे और बीमार व्यक्ति की ओर प्रेषित करते थे।
एक अन्य जिनका उदाहरण टिम बॉयड ने दिया है, डोरा कुंज का है। यह अमेरिका में थियोसॉफिकल सोसायटी की अध्यक्ष थीं। इनका यह मानना था कि हीलिंग की प्रक्रिया अभ्यास पर आधारित है तथा देवी कृपा पर निर्भर नहीं है अर्थात व्यक्ति को अपनी हीलिंग शक्ति स्वयं विकसित करनी होती है । डोरा कुंज की हीलिंग प्रक्रिया इस तथ्य पर आधारित थी कि जब हम शांत हो जाते हैं तो हमारी शक्तियां समरसता अर्थात केंद्रीकरण की दिशा में आ जाती हैं । ध्यान में ऐसा ही होता है । बस अब हमें उस केंद्रीकरण के बाद हील करने की अपनी मंशा को विकसित करना मात्र रह जाता है । हमारी मंशा यह होनी चाहिए कि हम हीलिंग शक्तियों के प्रवाह के लिए एक नलिका बन जाएं। समय और अभ्यास से इसकी संवेदनशीलता और प्रभाव बढ़ता है । टिम बॉयड का यह निष्कर्ष ध्यान साधना का एक सकारात्मक सामाजिक आयाम है, जिसका उद्देश्य आंतरिक प्रगति करते हुए सब की प्रगति और उच्चता में सहभागिता करना होता है । दोनों लेख पत्रिका के अंक को अत्यंत मूल्यवान बना रहे हैं ।
अंत में समाचार और टिप्पणियों के रूप में अनेक पृष्ठ थियोसॉफिकल सोसायटी की विविध गतिविधियों को रेखांकित कर रहे हैं । अनुवादक श्याम सिंह गौतम बधाई के पात्र हैं।

Language: Hindi
266 Views
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