ग़ज़ल…
किसी लाचार से सुन मुफ़लिसी क्या चीज़ होती है
मुसाफ़िर से सफ़र की बात में तहज़ीब होती है//1
ग़ज़ल से गीत की बातें अगर कविता सुनाती है
क़सम से प्यार की नमक़ीन ये तरक़ीब होती है//2
उधारी में कोई माँगे उधारी भूल जाते हैं
उसूलों से परे जाकर ये हद नाचीज़ होती हैं//3
सँवारों तो सँवारेंगे बिखेरो तो बिखेरेंगे
उसूलों में कही बातें बड़ी महफ़ूज़ होती हैं//4
अमीरों से कहो जाकर ग़रीबी देखकर आओ
तभी सच्ची बड़ी अच्छी लिखाई न्यूज़ होती हैं//5
कपट के जाल में फँसना फसाना छोड़ दो अब तो
यही बातें अरे सुनकर हमें अब ख़ीज़ होती है//6
चलो ‘प्रीतम’ मुहब्बत प्यार की छोड़ो यहीं बातें
हसीनों से हमें अब तो अरे ताक़ीद होती है//7
आर. एस.’प्रीतम’