!! आशा जनि करिहऽ !!

सहारा दीन दुखियन कऽ, केहू नाही आज़ बा
आशा जनि करिहऽ भईया बिगड़ल समाज़ बा
मोल नईखे रहि गईल
लोगवन के प्यार के
मोबाईल बिगाड़ देहऽलस
घर के संस्कार के
नंग धड़ंग नाच
नंगा अल्फ़ाज़ बा
आशा जनि करिहऽ भईया बिगड़ल समाज़ बा
डर नईखे रहि गईल
माई, बाप, बड़, के
फ़ैशन बिगाड़ देहऽलस
क़ायदा सब घर के
घरे घरे टिक-टाॅक
इहे अब काज़ बा
आशा जनि करिहऽ भईया बिगड़ल समाज़ बा
भेद, नईखे रहि गईल
किन्नर,नारि,नर में
नाचे लागल सब केहू
“चुन्नू” घर घर में
देह के नुमाइश कईल
एहि पर नाज़ बा
आशा जनि करिहऽ भईया बिगड़ल समाज़ बा
डर, नईखे रहि गईल
केहू में समाज़ के
सब केहू करे लागल
अपने मिज़ाज के
रुपिया कऽ छीना-झपटी
रुपिए कऽ राज़ बा
आशा जनि करिहऽ भईया, बिगड़ल समाज़ बा
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ ( उ.प्र.)