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29 Dec 2024 · 1 min read

इक उम्मीद

मैं जब तुमसे मिला था पहली दफा तो इक पत्थर की शिला समान था
ना कोई रूप ना कोई आकार
तुम्हारी चाहत से मैं किसी भी रूप में ढल सकता था
तुम्हारी इक मुस्कान से जब पहली मुलाकात का मेरा वो पल हसीन बन गया था तो अगर तुम जीवन भर साथ होते तो
मेरा अस्तित्व और जीवन का हर पल संवरता ।
तुम्हारे पास अनगिनत संभावनाएं थीं मुझे तरासने को..
शिव प्रताप लोधी

Language: Hindi
28 Views
Books from शिव प्रताप लोधी
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