Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2024 · 1 min read

सुकून

लघु कथा:सुकून

कहाॅं है यह?
कौन पापा, यही नेता……
दूसरी तरफ से मेरे ससुर जी मुझसे अपने बेटे के बारे में पूछ रहे थे। मैंने सहज भाव से उत्तर दिया पता नहीं !
क्यों ?
अब मुझे थोड़ा संभल कर जवाब देना था मैंने कहा शायद दिल्ली गए हैं, मैंने दोपहर में बात की थी तब उन्होंने बताया था। वह मुझसे सवाल करते गए और मैं सहजता से उत्तर देती गई। मैंने बातों का रुख़ बदलते हुए पूछा मम्मी जी कहाॅं है? (सासू माॅं) अब उनकी तबीयत कैसी है ? ससुर जी ने कहा सही है, अब आराम है, अपने मायके गई है। मैंने जिज्ञासा बस पूछ कहाॅं ? उसका मायका कहाॅं है! वहीं गई है। रोब है उसकी वहाॅं! चलती है उसके मायके में!
अब मेरे मुॅंह से अचानक ही निकल पड़ा पापा लड़कियों की तो मायके में चलती है और चलनी भी चाहिए। बस ससुराल में ही नहीं चलती वही बेबस, लाचार सी नजर आती है चाहे वह कितनी ही गुणी क्यों न हो पापा दूसरी तरफ मौन थे।
और मैं स्तब्ध थी कि मैंने यह शब्द कैसे कह दिए मगर एक सुकून भी था कहने के बाद और अचरज भी!

हरमिंन्दर कौर
अमरोहा (यूपी)

106 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विदाई
विदाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"आँख और नींद"
Dr. Kishan tandon kranti
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
Ravi Prakash
ग़ज़ल...
ग़ज़ल...
आर.एस. 'प्रीतम'
inner voice!
inner voice!
कविता झा ‘गीत’
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
समेट लो..
समेट लो..
हिमांशु Kulshrestha
मायड़ भासा
मायड़ भासा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
मर्कट दोहा
मर्कट दोहा
seema sharma
एक नया रास्ता
एक नया रास्ता
Bindesh kumar jha
जब अन्तर्वासना का ज्वर प्राणी के ऊपर चढ़ता है उसी समय उसके म
जब अन्तर्वासना का ज्वर प्राणी के ऊपर चढ़ता है उसी समय उसके म
Rj Anand Prajapati
*
*"मुस्कराहट"*
Shashi kala vyas
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
ग़ज़ल _ दिल मचलता रहा है धड़कन से !
Neelofar Khan
दोहा
दोहा
Sudhir srivastava
किसी की बेवफाई ने
किसी की बेवफाई ने
डॉ. एकान्त नेगी
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
jogendar Singh
झूठे सारे रूप है, सत्य एक भगवान
झूठे सारे रूप है, सत्य एक भगवान
RAMESH SHARMA
शराब की वज़ह से
शराब की वज़ह से
Shekhar Chandra Mitra
हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
Ravikesh Jha
''तुमसे मिलना है''
''तुमसे मिलना है''
शिव प्रताप लोधी
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
श्याम सांवरा
*रामलला का सूर्य तिलक*
*रामलला का सूर्य तिलक*
Ghanshyam Poddar
अभाव अमर है
अभाव अमर है
Arun Prasad
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
Shweta Soni
कौन  किसको पूछता है,
कौन किसको पूछता है,
Ajit Kumar "Karn"
जो देखे थे सपने
जो देखे थे सपने
Varsha Meharban
जिंदगी का कागज...
जिंदगी का कागज...
Madhuri mahakash
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
यही सोचकर इतनी मैने जिन्दगी बिता दी।
Taj Mohammad
Loading...