ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
जज्बात किसी से, कह नहीं सकता।
थाम कर बैठा हूं, हर एक टुकड़े को।
घुंघरू कि खनक, भी सह नहीं सकता।
श्याम सांवरा…..
ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
जज्बात किसी से, कह नहीं सकता।
थाम कर बैठा हूं, हर एक टुकड़े को।
घुंघरू कि खनक, भी सह नहीं सकता।
श्याम सांवरा…..