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7 Jan 2025 · 1 min read

ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।

ऐसा टूटा हूं कि, बिखर नहीं सकता।
जज्बात किसी से, कह नहीं सकता।
थाम कर बैठा हूं, हर एक टुकड़े को।
घुंघरू कि खनक, भी सह नहीं सकता।

श्याम सांवरा…..

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