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15 Aug 2024 · 1 min read

अशोक वाटिका मे सीता संग हनुमान वार्ता भाषा

अशोक वाटिका मे सीता संग वार्ता भाषा बनाम मानुषी भाषा (मैथिली)।

-आचार्य रामानंद मंडल।

बाल्मीकि रामायण के अनुसार –

अहं ह्यतितनुश्चैव वानरश्च विशेषतः।
वाचं चोदाहरिष्यामि मानुषीमिहं संस्कृताम्।।१७।

एक त हमर शरीर अत्यंत सूक्ष्म हय, दोसर हम वानर छी। विशेषतः वानर होके हम इंहा मानवोचित संस्कृत -भाषा मे बोलबैय।

यदि वाचं प्रदास्यामि द्विजातिरिव संस्कृताम।
रावणं मन्यमाना मां सीता भीता भविष्यति।।१८

परंतु एहन करे मे एकटा बाधा हय, जौं हम द्विज के भांति संस्कृत -वाणी के प्रयोग करबैय त सीता हमरा रावण समझ के भयभीत हो जतैय।

अवश्यमेव वक्तव्यं मानुषं वाक्यमर्थवत्।
मया सान्त्वयितुं शक्या नान्यथेयमनिन्दिता।
।१९।।

एहन दशा मे अवश्ये हमरा वोइ सार्थक भाषा के प्रयोग करे के चाही जे अयोध्या के आसपास के साधारण जनता बोलैय हय,न त इ सती साध्वी सीता के हम उचित आश्वासन न दे सकब।

हनुमान जी संस्कृत आ अयोध्या के लोक भाषा के लेल मानुष भाषा के प्रयोग कैलै हतन। संस्कृत के लेल विद्वान मनुष के भाषा आ साधारण लोग के लेल मानुष (लोक) भाषा।अइमे मिथिला आ मिथिला भाषा के कोई चर्चा न हय।

-गोरखपुर प्रेस से प्रकाशित बाल्मीकि रामायण के आधार पर।

@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।
मो -9973641075.

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