Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2024 · 1 min read

काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,

मैंने इस खबर को एक कविता में इस तरह रूपांतरित किया है

काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
बेटों-बेटियों की शादी का बोझ न होता।
न माँ-बाप के चेहरों पर शिकन दिखती,
हर ख़ुशहाली एक झोली में समाती।

काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
क़र्ज़ चुकाने की तनाव न होती,
हर चेहरे पर रौनक़ की चमक होती,
हर घर में खुशियाँ महकती।

काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
हर परिवार तरक़ी-याफ़्ता होता,
ज़िंदगी के हर पल में ख़ुशियाँ होतीं,
हर सपना अपने रंगों से सजाता।

काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
एक नया सवेरा और नई सोच होती,
हर इंसान बेखौफ और आज़ाद परिंदा होता,
काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता।

अगर आपको यह पसंद आए तो कृपया मुझे कमेंट में बताएं।
यह मेरा एक छोटा सा प्रयास है।
इस प्रयास की सराहना करना आपका कर्तव्य है।
अब आप इसे जिस भी तरह चाहें सराह सकते हैं।

धन्यवाद
शकिल आलम- छात्र, पत्रकारिता एवं जनसंचार, विभाग MANUU

Language: Hindi
Tag: Kavita
1 Like · 23 Views

You may also like these posts

राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
''कूबूल करते हैं ''
''कूबूल करते हैं ''
Ladduu1023 ladduuuuu
ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में.....)
ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में.....)
डॉक्टर रागिनी
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
Dr. Vaishali Verma
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
Vijay kumar Pandey
किणनै कहूं माने कुण, अंतर मन री वात।
किणनै कहूं माने कुण, अंतर मन री वात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
bandi tharun
Life:as we think.
Life:as we think.
Priya princess panwar
If you don’t give your mind a problem to solve, it will crea
If you don’t give your mind a problem to solve, it will crea
पूर्वार्थ
D. M. कलेक्टर बन जा बेटा
D. M. कलेक्टर बन जा बेटा
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
सत्य की राह
सत्य की राह
Seema gupta,Alwar
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
നിങ്ങളോട്
നിങ്ങളോട്
Heera S
सपनों का घर
सपनों का घर
Uttirna Dhar
मुझे तारे पसंद हैं
मुझे तारे पसंद हैं
ruby kumari
ग़ज़ल- चाहे नज़रों से ही गिरा जाना
ग़ज़ल- चाहे नज़रों से ही गिरा जाना
आकाश महेशपुरी
जीवन डगर के ओ सहचर
जीवन डगर के ओ सहचर
Saraswati Bajpai
न जुमला, न आरोपों की राजारानी चाहिए।
न जुमला, न आरोपों की राजारानी चाहिए।
Sanjay ' शून्य'
मं
मं
*प्रणय*
- हर कोई अजनबी हो रहा है -
- हर कोई अजनबी हो रहा है -
bharat gehlot
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
डॉ. दीपक बवेजा
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
Ranjeet kumar patre
2707.*पूर्णिका*
2707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*चंदा (बाल कविता)*
*चंदा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
नवजीवन
नवजीवन
Deepesh Dwivedi
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
भावनात्मक शक्ति
भावनात्मक शक्ति
Sudhir srivastava
बेतरतीब
बेतरतीब
Dr. Kishan tandon kranti
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Loading...