Posts Tag: Kavita 89 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dushyant Kumar Patel 27 Jun 2025 · 1 min read # संगी संगवारी जिनगी मा का रस रहि जाही, ये हिरदे ह कइसे हरियाही? मिठ-मिठ मया के गोठ रे, कोन सुनही अउ सुनाही — बिन संगी संगवारी के। मयारू के खबर कोन लाही,... Chhattisgarhi · Kavita · छत्तीसगढ़ी कविता 26 Share Swadha Ravindra Utkarshita 22 Jun 2025 · 1 min read तुम बिन गीत कुंवारे मेरे तुम बिन गीत कुंवारे मेरे, तुम आओ तो मांग भरेंगे। सूख गए है अक्षर अक्षर तुम आओ तो कोपल फूटे शब्द शब्द में पीर भरी है भाव विकल हो कर... Hindi · Geet · Kavita · Swadha · Viral 1 1 30 Share Dushyant Kumar Patel 1 Jun 2025 · 1 min read तुझमें ही मेरी सारी दुनिया- उसके हर रंग, हर छाया- तुझमें ही समाए थे। अब सोचूं भी क्यों ? जब तू ही नहीं मिला- तो क्या पाया ? क्या खो दिया ?... Hindi · Hindi_poetry_हिंदी_कविता · Kavita · कविता 42 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 20 May 2025 · 1 min read गांव और शहर गांव के साथ-साथ एक शहर से भी नाता पुराना हो गया है, जाता हूं दूर जब भी उससे वो भी याद बहुत आने लगा है। पहले जहां मिट्टी की खुशबू... Hindi · Hindi Poetry · Kavita · Kavya · Poetry · कविता 4 2 726 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 9 May 2025 · 2 min read तुम ही बताओ तुम लौटोगे जब, हम न होंगे तेरे लिए फिर भी दुआ करेंगे। अब तुमने छोड़ा नहीं किसी लायक तुम ही बताओ, और क्या करेंगे। न साँसों पे हक़ है, न... Hindi · Best Hindi · Kavita · Poetry · इश्क़ शायरी · कविता 2 1 688 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 2 May 2025 · 2 min read *कभी भी हार मत मानना* सपने कभी न तोड़ना ख़ुद के थोड़ी और मेहनत कर लेना दिल में जो भी हैं हसरते तेरे तुम वो ज़रूर पूरी कर लेना। रास्ते मुश्किल होंगे मगर हौसले कभी... Hindi · Best Poetry · Hindi Poem · Kavita · Kavya · कविता 4 1 644 Share Dushyant Kumar Patel 17 Apr 2025 · 1 min read *बनारस ही प्रेम है* मेरे लिए बनारस ही प्रेम है — जहाँ घाटों की सीढ़ियाँ मुझे थामती हैं, मंदिरों की घंटियाँ मन की मौन बात कहती हैं। गंगा की आरती हर दिन मेरे लिए... Hindi · Best Hindi Poetry · Kavita · कविता 65 Share Ami 11 Mar 2025 · 1 min read टेसू के अग्नि पुष्प जब वसंत की सुषमा बिखरती, पवन मधुर रागिनी गुनगुनाती, धरा के अंचल में सजीव हो उठता, टेसू, ज्वाला सम दमकता। निर्जल प्रांतर, तप्त गगन, पर इसका प्रभामंडल दैदीप्यमान, अग्नि सम... Hindi · Fire · Kavita · Love · Nature · Poem 4 1 82 Share Writer Ch Bilal 8 Mar 2025 · 1 min read शीर्षक_ जिंदगी शीर्षक ""जिंदगी"" मरने चला में जिंदगी से परेशान होकर अब कैसे मरे बाज़ार में कोई ज़हर नहीं मर जाउ में किसी दरख़्त पे लटक कर मरु कहां हमको मिला कोई... Hindi · Kavita · Poem 1 77 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 2 Mar 2025 · 2 min read पतंग की डोर डोरी के बिना पतंग कुछ नहीं है, डोरी से ही तो वो हवा में उड़ती है। फिर न जाने क्यों लगता है उसे ऐसा, डोरी उसे और ऊंचा जाने से... Hindi Kavita · Hindi Poetry · Kavita · Poetry 2 1 870 Share Page 1 Next