साहस
साहस कोई शेर नहीं है कि हमेशा दहाड़े। साहस तो हिम्मत है, हौसला है। यह अक्सर दिन के अन्त में शान्त आवाज में कहता है- ‘मैं कल फिर कोशिश करूंगा।’
साहसी व्यक्ति कभी सपने उधार नहीं लेता। वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। बेशक बड़ा कदम उठाने से डरना ठीक नहीं। बिल्कुल भी ना डरो। वजह यह कि डर के साथ जीना हमें जोखिम लेने से रोकता है। याद रखें, दो छोटी छलांगों में आप खाई पार नहीं कर सकते।
यदि आप जोखिम नहीं उठाते हैं, तो आपको सर्वोत्तम हासिल नहीं हो सकता। मनुष्य उतना ही पाता है, जितना उसमें पूंजी लगाता है। इस पूंजी लगाने का आशय जिन्दगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलटकर पढ़ना है, जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं, अंगारों से भी लिखे गए हैं। मसलन :
जीवन उनका नहीं जो डरते हैं,
जीवन तो उनका है
जो चरण रोप निर्भय होकर लड़ते हैं।
जिन्दगी का भेद कुछ उसे ही मालूम हो सकता है, जो यह जानकर चलता है कि जिन्दगी कभी पूरी तरह से खत्म न होने वाली चीज है। खैर, लाभ चाहे कोई भी हो, वह जोखिम झेलने का पुरस्कार होता है। याद रखें :
सपने सच होते हैं उन्हीं के
जिनके सपनों में जान होती है,
पंख रहने से कुछ नहीं होता
हौसलों से ही उड़ान होती है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट राइटर अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।