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19 Dec 2024 · 2 min read

…..चिंतित मांए….

देख दूर्दशा बेटियों की ,
अंदर तक रूह कांपती है।
नही सुरक्षित है अब बेटी,
यह सोच के मां चिंतित रहती।

पग पग पर दानव हैं बैठे ,
विश्वास किसी पे करना न।
लगै नजर जिसकी भी खोटी,
उससे बात कभी करना न ।

कलियुग के इन दुशासनों से ,
अब तुमको ही बचना होगा।
घात लगाकर बैठे सकुनी ,
उनसे तुमको ही लड़ना होगा।

हर मां अपनी बेटी को अब,
यहीं बात समझाती है।
नही सुरक्षित है अब बेटी,
यह सोच के मांए घबराती हैं….

अपना कृष्ण तुम्हे है बनना,
तुमको ही हथियार उठाना होगा।
जो हांथ तुम्हारे अंग छूए,
धड़ से उन्हे अलग करना होगा।

कैसे बहशी दरिंदें हैं ये,
कैसे पापी लोग हैं ।
हवस के कामी अंधों को ,
दिखता ही नही कि कौन है।

इनकी पशुता देख देख अब,
अब पशुओं को शर्म आ जाती है।
नही सुरक्षित है अब बेटी,
यह सोच के मांए घबराती हैं…….

निर्जलता की ओढ़ के चादर,
कैसे ये सो जाते हैं ।
अपनी बहन बेटीयों से,
न जाने ये आंख मिलाते हैं।

शर्मसार कर मां की कोख को,
कैसे उनके सामने जाते होगें।
नही सुरक्षित अब हैं बेटी
मांऐ सोच कर यह चिंतित रहती….

बहुत सह चुकी हैं अब बेटी ,
अब पानी सर से पार हुआ ।
अब ऐसे दरिंदों के लिए,
सख्त कानून का विधान बने ।

मौत कोई है सजा नही,
इससे बद्दतर सजा का प्रावधान हो।
काट दो वह अंग जिसके,
लिए घृणित काम हो।
फोड़ दो उन आखों को जिनमें,
वासना का वास हो।

इसके लिए अब सबसे पहले
बेटों को भी मर्यादा सिखलानी होगी ।
हर नरी का सम्मान करें ,
उन्हे यह बात समझानी होगी।

रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ

Language: Hindi
77 Views
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