*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
*पुरानी पेंशन हक है मेरा(गीत)*
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
With every step, you learn, you soar,
कहाँ और किस के दर पे जाए शिकायत लेकर,
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
जब तक हम अपने भीतर नहीं खोजते हम अधूरे हैं और पूर्ण नहीं बन
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
ठोकर बहुत मिली जिंदगी में हमें
जो ख़ुद आरक्षण के बूते सत्ता के मज़े लूट रहा है, वो इसे काहे ख
जिंदगी के सफर में अकेले चले ,
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक 😂😂😂
"भाग्य से जीतनी ज्यादा उम्मीद करोगे,
निश्छल प्रेम के बदले वंचना
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
प्रेम जीवन धन गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक