आओ पास पास बैठें
मुक्तक
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आओ पास पास बैठें हम, कुछ बातें कर लें।
इसी तरह आपस में पसरा, खालीपन भर लें।
छोड़ सभी बीती बातों को, सोच रखें नूतन।
स्वयं बढ़ाएं दो पग आगे, कष्टों को हर लें।
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मंजिल मिलती वक्त कभी है, इम्तिहान लेता।
सब करते हैं बातें कोई, साथ नहीं देता।
साहस से चप्पू पकड़े अब, पार स्वयं जाना।
तूफानों में कोई आकर, नाव नहीं खेता।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य