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19 Nov 2024 · 1 min read

समायोजन

देश देखा, विदेश देखा , पर देखा ना ,
अपना सा कोई विशेष देखा ,

हर कृति अपने में अनूठी है ,
कोई किसी से ना मेल खाती है ,

हर आचार – विचार अलग ,
हर आहार – विहार अलग ,

मूल्यों ,मानकों के मापदंड अलग ,
हर दृष्टिकोण, हर निष्कर्ष अलग ,
हर अनुमान, हर प्रमाण अलग ,

इस विभिन्नताओं के संसार में
समरसता की व्यावहारिकता
ढूंढना मुश्किल है ,
समायोजन के बिना संसार में
सामंजस्य की संभावना मुश्किल है।

Language: Hindi
1 Like · 83 Views
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