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7 Nov 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

चुराना रंग आ जाए बहारों से नज़ारों से
मिली उलझन बने सुलझन भी चुटकी के इशारों से/1

उसी की ज़िंदगी ख़ुशबू लिए जो शौक़ फूलों का
हँसे ख़ुद भी हँसा सबको मुहब्बत के सितारों से//2

किसी का कौन दुनिया में मुसीबत ही बताती है
ख़ुशी में तो गले लगते सभी देखे क़रारों से//3

गली उसकी बड़ी ज़ालिम बुलाती है इशारे कर
छिपाए छिप नहीं पाई मुहब्बत भी दरारों से//4

नज़र क़ातिल हृदय कोमल ज़िग़र चाहत पचाता है
तभी बरसे सुधा रस ये लबों के मद द्वारों से//5

सदा इंसान के आँसू बहें कमज़ोर दिल पाकर
हृदय मज़बूत हो तो चश्म बहती क्या किनारों से//6

तेरा ‘प्रीतम’ हमें तो नाम ही भाए इबादत को
यही चाहत बचाती है मुझे ग़म की कटारों से//7

आर. एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

Language: Hindi
1 Like · 42 Views
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