Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Nov 2024 · 1 min read

नाहक को।

नाहक को।
संभालो।

सब सुन लो,
फ़नकारो।

बदनामी,
होने दो।

हर क़ीमत,
पहचानो।

कैसे हो ?
सरदारो।

ख़ुश्क गला,
दारू लो।

गुस्सा क्यूं ?
बतलाओ।

बातें मत,
उलझाओ।

नखरे कम,
कर भी लो।

ख़त मेरे,
मत फाड़ो।

बारिश में,
कम भीगो।

दिल से यूं,
मत छेड़ो।

ख़ामोशी,
क्यों पालो?

पागलपन,
रहने दो।

हर उलझन,
सुलझाओ।

मरते दम,
साथ रहो।

नदिया के,
पार चलो।

आहिस्ता,
दफ़नाओ।

नाज़ुक दिल,
मत तोड़ो।

अखबारो,
सच बोलो।

मुश्किल से,
खूब लड़ो।

क़िस्मत को,
चमकाओ।

ख़बरों में,
छा जाओ।

पढ़ लिख कर
नाम करो।

ख़तरों से,
लड़ जाओ।

तुकबन्दी,
छोटा ओ।

काबू में,
आ जाओ।

जलना मत,
परवानो।

शम्मा से,
दूर हटो।

पंकज शर्मा परिंदा

144 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from पंकज परिंदा
View all

You may also like these posts

जिन्दगी में
जिन्दगी में
Dr. Kishan tandon kranti
हर दिन तुम्हारा है
हर दिन तुम्हारा है
shabina. Naaz
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सबका अपना दाना - पानी.....!!
पंकज परिंदा
मत डरो
मत डरो
Rambali Mishra
18--- 🌸दवाब 🌸
18--- 🌸दवाब 🌸
Mahima shukla
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
#लघु कविता
#लघु कविता
*प्रणय प्रभात*
*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*
*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
राम भजन
राम भजन
Rajesh Kumar Kaurav
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नेता
नेता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
धर्म युद्ध
धर्म युद्ध
Jalaj Dwivedi
3180.*पूर्णिका*
3180.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मित्रता एवं रिश्तेदारी
मित्रता एवं रिश्तेदारी "सम्मान" की नही "भाव" की भूखी होती है
ललकार भारद्वाज
अबकि सावनमे , चले घरक ओर
अबकि सावनमे , चले घरक ओर
श्रीहर्ष आचार्य
कर लेगा
कर लेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दुनिया में इतना गम क्यों है ?
दुनिया में इतना गम क्यों है ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
अभिनंदन
अभिनंदन
विशाल शुक्ल
सतगुरु से जब भेंट हुई
सतगुरु से जब भेंट हुई
Buddha Prakash
बाल श्रमिक
बाल श्रमिक
उमा झा
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
Ích Niệu Khang
Ích Niệu Khang
sức khỏe
माँ
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मामले के फ़ैसले अदालत में करने से बेहतर है की आप अपने ही विर
मामले के फ़ैसले अदालत में करने से बेहतर है की आप अपने ही विर
Rj Anand Prajapati
ये जिन्दगी तुम्हारी
ये जिन्दगी तुम्हारी
VINOD CHAUHAN
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज कल परिवार में  छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
आज कल परिवार में छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
पूर्वार्थ
क्या हैं हम...
क्या हैं हम...
हिमांशु Kulshrestha
....????
....????
शेखर सिंह
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
सारे गिले-शिकवे भुलाकर...
Ajit Kumar "Karn"
Loading...