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5 Oct 2024 · 1 min read

4547.*पूर्णिका*

4547.*पूर्णिका*
🌷 *कैसे वक्त निकल जाता * 🌷
22 212 22
कैसे वक्त निकल जाता ।
जीवन भक्त निकल जाता ।।
होती बात में नरमी।
मन भी सक्त निकल जाता ।।
लोग यहाँ गिरे हपटे ।
बहता रक्त निकल जाता ।।
होते कौन हैं मोहित ।
देख विरक्त निकल जाता ।।
मुहब्बत क्या यहाँ खेदू।
बन आसक्त निकल जाता ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
05-10-2024 शनिवार

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