हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
निहरलS पेट आपन, दोसरा के ख्याल ना कइलS
मन की संवेदना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
अति व्यस्त समय में से भी....
ग़ज़ल (यूँ ज़िन्दगी में आपके आने का शुक्रिया)
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
जहां की रीत
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
*किसी से भीख लेने से, कहीं अच्छा है मर जाना (हिंदी गजल)*
डरना हमको ज़रा नहीं है,दूर बहुत ही कूल भले हों