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8 May 2024 · 1 min read

*नए दौर में*

खाली झोला लेकर आए
कितने नए साथ बनाए
कुछ मामूली कुछ खास बने
कितना समय लगा था
सबको अपना बनाने में
हम भी चल पड़े थे
इस नए दौर को अपनाने में
परिधान बदल बैठे सारा
व्यवहार बदल गया हमारा
आधुनिकता की होड़ में विचारहीन भी लगता प्यारा कितने हर्षित हो जाते
ऐसे व्यर्थ दिखावे में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
जननी की बातें जन्मभूमि का
एहसास हृदय में जगा
फिर लगा कि मानव जीवन में
विचार नया ही जागा
उज्जवल भविष्य सदा बनता है
मात-पिता गुरु और संतों की वाणी अपनाने में
हम भी चल पड़े थे इस नए दौर को अपनाने में
छोड़ के सारे व्यर्थ दिखावे
ईर्षा, द्वेष, अभियान त्याग के
प्रेम ही प्रेम के लगे गीत गुनगुनाने में
छोड़ नए दौर को लगे अपनों को अपनाने में

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