Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2024 · 1 min read

कोई मेरे दिल में उतर के तो देखे…

कोई मेरे दिल में, उतर के तो देखे
मेरी फैली बाँहों में, बिखर के तो देखे

मेरी गर्म साँसों में आहें दहकती
निशा भी शराबी होकर बहती
कोई मन के सागर में, लहर के तो देखे
मेरे ज़र्द होठों में, ठहर के तो देखो

ये उजड़ी हुई नींद ये बोझिल सी पलकें
बादल जो काजल आयें हों मलकें
कोई मेरी आँखों में, चहक के तो देखे
मेरी सूनी रातों में, महक के तो देखे

चंदा जो लोरी सुनाने है आया
धनक साज सपने सजाने को लाया
कोई मेरे गीतों में, मुखर के तो देखे
मेरी मन कहानी में, उभर के तो देखे

–कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह✍🏻
★स्वरचित रचना
★©️®️ सर्वाधिकार सुरक्षित

1 Like · 157 Views

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
surenderpal vaidya
“सत्य ही सब कुछ हैं”
“सत्य ही सब कुछ हैं”
Dr. Vaishali Verma
" नजर "
Dr. Kishan tandon kranti
वाणी में शालीनता ,
वाणी में शालीनता ,
sushil sarna
#श्याम की गोपियां
#श्याम की गोपियां
Radheshyam Khatik
बदलाव की ओर
बदलाव की ओर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
धुआँ धुआँ इश्क़
धुआँ धुआँ इश्क़
Kanchan Advaita
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
**ये गबारा नहीं ‘ग़ज़ल**
**ये गबारा नहीं ‘ग़ज़ल**
Dr Mukesh 'Aseemit'
"निज भाषा का गौरव: हमारी मातृभाषा"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल का मासूम घरौंदा
दिल का मासूम घरौंदा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
तुम हो तो....
तुम हो तो....
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
15.डगर
15.डगर
Lalni Bhardwaj
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*आत्महत्या*
*आत्महत्या*
आकांक्षा राय
अपनी राह
अपनी राह
Ankit Kumar Panchal
तालाश
तालाश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
4268.💐 *पूर्णिका* 💐
4268.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मोबाइल का यूज कम करो
मोबाइल का यूज कम करो
Dhirendra Singh
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
दिल होता .ना दिल रोता
दिल होता .ना दिल रोता
Vishal Prajapati
मां का आंचल और पिता प्रेम
मां का आंचल और पिता प्रेम
श्याम सांवरा
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
Juhi Grover
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
छूटना
छूटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
..
..
*प्रणय*
जब किनारे दिखाई देते हैं !
जब किनारे दिखाई देते हैं !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
होश खो देते जो जवानी में
होश खो देते जो जवानी में
Dr Archana Gupta
Loading...