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11 Feb 2025 · 1 min read

हर लेता जल कुंभ का , मन गंगा सा होय ।

हर लेता जल कुंभ का , मन गंगा सा होय ।
चिंता जग की छोड़ कर, पापी मन को धोय ।।
✍️नील रूहानी…

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