Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Mar 2021 · 1 min read

झूठी शम्मा यार जलाने से अच्छा ।

ग़ज़ल

खट्टा हो व्यवहार जमाने से अच्छा ।
अपना यूँ क़िरदार छिपाने से अच्छा ।

जलता है परवाना तो जल जाने दो ,
झूठी शम्मा यार जलाने से अच्छा ।

झाँक गिरेवां ख़ुद का तुम भी तो देखो
गैरों को गद्दार बताने से अच्छा ।

यार मुनासिब हो तो मुझसे दूर रहो,
झूठा -मूठा प्यार जताने से अच्छा ।

आप बताओ अपनी अच्छाई मुझको,
झूठा बरखुर्दार बनाने से अच्छा ।

ग़म हो तो कोने में जाकर रो लो ख़ूब ,
ये झूठी मुस्कान दिखाने से अच्छा ।

आओ रकमिश बैठो कोई ख़्वाब बुनें,
यूँ गलफ़त में उम्र गवांने से अच्छा ।

रकमिश सुल्तानपुरी

Loading...